तमन्ना फिर मचल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
ये मौसम ही बदल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ...
ये दुनिया भर के झगडे, घर के किस्से, काम की बातें
बला हर एक टल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
नहीं मिलते हो तुम, तो सब यहाँ हमदर्द हैं मेरे
ज़माना मुझसे जल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
मुझे ग़म है कि मैंने ज़िन्दगी में कुछ नहीं पाया
ये ग़म दिल से निकल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ...
तमन्ना फिर मचल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ......
Thursday, January 15, 2009
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